अनीता गर्ग (Anita Garg)

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भाव की गहराई 1

मै भगवान को भजता हुं मैं भगवान की पुजा करता हूँ मे मै तत्व का समावेश है मै शरीर हूँ।

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प्रभु प्रेम 1

प्रेम पाना नहीं चाहता प्रेम देना जानता है। प्रभु प्राण नाथ के प्रेम में भक्त मिट जाना चाहता है। प्रेम

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खोज

प्रभु को बाहर कहा खोजोगे प्रभु अन्दर बैठा प्राणी में सांस भरता है। अ प्राणी तुझे प्रभु प्राण नाथ की

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लक्ष्य की दृढता

जय श्री राम भगवान को भजते हुए भगवान हमे आनन्द बहुत देते है। हृदय आनंद से भरा रहता है। मन

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भगवान मे खो जाना

सत्संग का सच्चा अर्थ है जब हम भाव विभोर हो स्तुति करते हैं तब हमारा अन्तर्मन परमात्मा के साथ सम्बन्ध

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भगवान देख रहा 1

हे परमात्मा जी मै कहती। भगवान् देख रहा है। मै जब भी घर में कार्य करती मेरा अन्तर्मन पुकारता भगवान्

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भगवान् देख रहा 2

भगवान् देख रहा का भाव साधक के मन में तभी जागृत होगा जब अन्तर्मन में शुद्धता समा जाएंगी ।मेराभगवान् सगुण

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