
जीवन के दो पहलु
मानव जीवन के दो पहलु है और नहीं। व्यक्ति है में जीवन जीता है वह सकरात्मक सोच और दृढ निश्चय
मानव जीवन के दो पहलु है और नहीं। व्यक्ति है में जीवन जीता है वह सकरात्मक सोच और दृढ निश्चय
नित्य किरया कर्म ज्ञान योग भक्ति मार्ग का निचोड़ एवं प्रभु प्रेम का भाव है। हम कितनी ही बैठे बैठे
परमात्मा के नाम धन का सच्चा व्यापार करना है। दिल से नाम धन व्यापार करेगें तब दिन दुगना रात चौगुना
परम पिता परमात्मा का प्रेम ही ऐसा है कि संसार में छुपाए छुप नहीं सकता है। एक प्रभु प्रेमी अपने
मै भगवान को भजता हुं मैं भगवान की पुजा करता हूँ मे मै तत्व का समावेश है मै शरीर हूँ।
प्रेम पाना नहीं चाहता प्रेम देना जानता है। प्रभु प्राण नाथ के प्रेम में भक्त मिट जाना चाहता है। प्रेम
प्रभु को बाहर कहा खोजोगे प्रभु अन्दर बैठा प्राणी में सांस भरता है। अ प्राणी तुझे प्रभु प्राण नाथ की
हम राम राम कृष्ण कृष्ण भजते है। हम स्तुति करते हुए इस मार्ग पर आ जाते हैं कि एक मिनट
जय श्री राम भगवान को भजते हुए भगवान हमे आनन्द बहुत देते है। हृदय आनंद से भरा रहता है। मन
सत्संग का सच्चा अर्थ है जब हम भाव विभोर हो स्तुति करते हैं तब हमारा अन्तर्मन परमात्मा के साथ सम्बन्ध