दिल के भाव
हे प्रभु प्राण नाथ हे परमात्मा मै तुम्हारे ह्दय के अन्दर में बैठ जाऊगी ।हे परमात्मा मैने तो अपना दिल
हे प्रभु प्राण नाथ हे परमात्मा मै तुम्हारे ह्दय के अन्दर में बैठ जाऊगी ।हे परमात्मा मैने तो अपना दिल
हम प्रतिदिन मन्दिर जाते और कहते हम मन्दिर में भगवान के दर्शन करने जाते हैं। हम भगवान की आरती करते
कर्म जीवन की सच्चाई है कर्म में भगवान छुपे बैठे हैं। कर्म करते हुए जितने हम भगवान के नजदीक है
परमात्मा जी तुम मेरे दिल में आ गए। तुमने मुझे अद्भुत प्रेम दिया ।हे परम पिता परमात्मा जी ये प्रेम
राम भगवान हैं राम आत्माराम है भगवान राम जगत पिता है। राम हमारी आत्मा की पुकार है। राम को जप
बाहरी आंखें बन्द करलो अन्दर उजाला ही उजाला है दीपक अग्नि घी और बाती से जलाए जाते हैंअन्दर झांक कर
शून्यता को प्राप्त करने के लिए हमे त्याग के मार्ग पर चलना है। सब भावो को हम त्याग दे।भक्त के
हम राम राम कृष्ण कृष्ण भजते है। हम स्तुति करते हुए इस मार्ग पर आ जाते हैं कि एक मिनट
संसार में सम्बन्धो में जो प्रेम दिखाई देता है वह वह मोह का रूप है ।हर सम्बन्ध लेन देन पर
मन्दिर में सगुण साकार की पुजा की जाती है, हम मन्दिर में जाकर सभी भगवान के सामने धुप दिपक जलाते