
सूक्ष्म मलिनता तीव्र भक्ति से दूर कर सकते है
मन की मलिनता दो प्रकार की होती है।स्थूल मलिनता साधारण साधन तप,व्रत,अनशन आदि से यह मलिनता दूर होती है,।सूक्ष्म मलिनता
मन की मलिनता दो प्रकार की होती है।स्थूल मलिनता साधारण साधन तप,व्रत,अनशन आदि से यह मलिनता दूर होती है,।सूक्ष्म मलिनता
हे परमात्मा राम मै आपकी वन्दना करती हूं एक भक्त परमात्मा राम के भाव मे कैसे वन्दना करता है हे
एक दीपक प्रज्वलित करके भगवान् को अन्तर मन से धन्यवाद करे कि हे भगवान् तुमने मुझे बना कर पृथ्वी पर
आत्मविश्वास जितना दृढ होगा उतना ही आपके शब्द आपके भीतर से निकले हुए होंगे। हम सैदव याद रखे यह मनुष्य
आत्म चिन्तन का अर्थ है हम अपने आप के नजदीक है हम जीवन में यह जान जाये मुझे परमात्मा ने
भक्त परमात्मा को अनेकों भावों से मनाता हैं। परमात्मा की विनती करते हुए कहता हैं कि हे परमात्मा तुम मेरे
राम राज्य का अर्थ है। आत्मविश्वास हमारे जीवन को महकाता है हमारे मन में पवित्रता हो हमरे तन मन धन
राम नाम की लो लग जाएगी ईश्वर दर्शन हो जाएंगेलो का लगना क्या हैलो एक धुन लो एक प्यास है।हर
राधे राधे जपते हुए गाते हुए नैनो से नीर बहाती थी सखियां। खुशी और तङफ में बहुत फर्क है तङफ
धन्ना भक्त को सिलबट्टे में भगवान के दर्शन हुए धन्ना ने कोन से ग्रथं पढे धन्ना के आत्म विश्वास पर