भगवान लीला करते
भक्त भगवान की भक्ति करता है तब मार्ग में उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पङता है। प्रथम मन का
भक्त भगवान की भक्ति करता है तब मार्ग में उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पङता है। प्रथम मन का
भगवान की सच्ची भक्ति करोड़ो में से कोई एक करता है। किसी के दिल में यह प्रश्न उठता है कि
एक भक्त कहता है हम भगवान की माला जप करते हैं। मन्दिर में भजन कीर्तन करते हैं। हमे अपने घर
एक सखी नाम रस के प्रेम को बताते हुए कहती हैं कि सखी धीरे-धीरे राधे राधे राम राम का नाम
एक साधक ध्यान में श्री हरि का आत्म चिन्तन करते हुए श्री राम, जय श्री राधे कृष्ण, जय श्री राधे
भगवान ने हमें दो कान दिए हैं। हमे ग्रथ पढते हुए दोनों कान को सतर्क रखने होते है। एक कान
दिल पर पहरे लग नहीं सकते हैं। भाव से भक्त वृन्दावन में बिहारी जी के पास पहुंच जाता है। जब
हम समझते हैं हमने बहुत कुछ कर लिया है तब अभी हमने कुछ किया ही नहीं है जब तक यह
हम सुबह उठते ही भगवान को याद करते हैं घर के कार्य चल रहे हैं दिल कहता है कि जल्दी
हे प्रभु प्राण नाथ हे कृष्ण हे दीनानाथ मै तुम्हे एक ही विनती करती हूँ ।हे मेरे स्वामी भगवान् नाथ