[29]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम दिग्विजयी का पराभव परैः प्रोक्ता गुणा यस्य निर्गुणोऽपि गुणी भवेत्। इन्द्रोऽपि लघुतां
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम दिग्विजयी का पराभव परैः प्रोक्ता गुणा यस्य निर्गुणोऽपि गुणी भवेत्। इन्द्रोऽपि लघुतां
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम नवद्वीप में ईश्वरपुरी येषां संस्मरणात्पुंसां सद्यः शुद्ध्यन्ति वै गृहाः। किं पुनर्दर्शनस्पर्शपादशौचासनादिभिः।। बड़े-बड़े
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम विवाह न गृहं गृहमित्याहुर्गृहिणी गृहमुच्यते। तया हि सहितः सर्वान् पुरुषार्थान् समश्नुते।। वट
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम विद्याव्यासंगी निमाई अन्या जगद्धितमयी मनसः प्रवृत्ति- रन्यैव कापि रचना वचनावलीनाम्। लोकोत्तरा च
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम व्रत-बन्ध जन्मना जायते शूद्रः संस्काराद् द्विज उच्यते। वेदपाठी भवेद् विप्रः ब्रह्म जानाति
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम विश्वरूप का गृह-त्याग धन्याः खलु महात्मानो मुनयः सत्यसम्मताः। जितात्मानो महाभागा येषां न
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम निमाई का अध्ययन के लिये आग्रह विद्यानाम नरस्य कीर्तिरतुला भाग्यक्षये चाश्रयो धेनुः
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम चंचल पण्डित सदयं हृदयं यस्य भाषितं सत्यभूषितम्। कायः परहितो यस्य कलिस्तस्य करोति
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम दिग्विजयी का वैराग्य भोगे रोगभयं कुले च्तुतिभयं वित्ते नृपालाद्भयं मौने दैन्यभयं बले
*।। श्रीहरि:।।* [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम *विश्वरूप का वैराग्य* को देशः कानि मित्राणि कः कालः कौ व्ययागमौ। कश्चाहं