[16]”श्रीचैतन्य–चरितावली
। श्रीहरि:।।* [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम *अद्वैताचार्य और उनकी पाठशाला* गंगा पापं शशी तापं दैन्यं कल्पतरुस्तथा। पापं तापं
। श्रीहरि:।।* [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम *अद्वैताचार्य और उनकी पाठशाला* गंगा पापं शशी तापं दैन्यं कल्पतरुस्तथा। पापं तापं
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम सर्वप्रिय निमाई यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च यः। हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो यः स च मे
*।। श्रीहरि:।।* [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम *चांचल्य* किं मिष्टं सुतवचनं मिष्टतरं किं तदेव सुतवचनम्। मिष्टान्मिष्टतमं किं श्रुतिपरिपक्वं सदेव
*।। श्रीहरि:।।* [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम *बाल-लीला* पंकाभिषिक्तसकलावयवं विलोक्य दामोदरं वदति कोपवशाद् यशोदा। त्वं सूकरोऽसि गतजन्मनि पूतनारे! इत्युक्तसस्मितमुखोऽवतु
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीविष्णुप्रिया-परिणय रूपसम्पन्नमग्राम्यं प्रेमप्रायं प्रियंवदम्।कुलीनमनुकूलं च कलत्रं कुत्र लभ्यते।। बहू के बिना घर सूना-ही-सूना
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम प्रकृति-परिवर्तन परोपदेशकुशला दृश्यन्ते बहवो जनाः। स्वभावमतिवर्तन्तः सहस्रेष्वपि दुर्लभाः।। बाल्यावस्था का स्वभाव आगे
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम भक्तिस्त्रोत उमड़ने से पहले तावत्कर्मणि कुर्वीत न निर्विद्येत यावता। मत्कथाश्रवणादौ वा श्रद्धा
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम बाल्य-भाव दिग्वाससं गतव्रीडं जटिलं धूलिधूसरम्। पुण्याधिका हि पश्यन्ति गंगाधरमिवात्मजम्।। ‘इस काम के
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम अलौकिक बालक स्वगर्भशुक्तिनिर्भिन्नं सुवृत्तं सुतमौक्तिकम्। वंशश्रीतिलकीभूतं मन्दभाग्यस्य दुर्लभम्।। शची-रूपी सीपी के भाग्य
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम श्रीगयाधाम की यात्रा यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः। स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।। आश्विन शुक्ला