गुरु को कीजिए बंदगी।
बार बार दंडवत प्रणाम।।
गुरु को कीजिए बंदगी।बार बार दंडवत प्रणाम।।खंड और ब्राह्मड में।नहीं कोई गुरु समान।।देवी देवता मन कल्पना।एक गुरु ही है भगवान।।ब्रह्मा
गुरु को कीजिए बंदगी।बार बार दंडवत प्रणाम।।खंड और ब्राह्मड में।नहीं कोई गुरु समान।।देवी देवता मन कल्पना।एक गुरु ही है भगवान।।ब्रह्मा
रामकृष्ण परमहंस को गले का कैंसर था। पानी भी भीतर जाना मुश्किल हो गया, भोजन भी जाना मुश्किल हो गया।
हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद 🌹🙏 बिना श्रद्धा के विस्वास नही, विस्वास के बिना भक्ति नहीं,भक्ति के बिना प्रेम
.अमिअ द्रिसटि सुभ करै, हरै अध पाप सकल मल।।काम क्रोध अरू लोभ मोह, वसि करै सभै भलि।।.अर्थात् गुरु देव जिस
रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया फिर धनुष क्यों नहीं उठा पाया और राम ने कैसे धनुष तोड़ दिया
. एक बार एक व्यक्ति एक गाय दान करना चाहता था। वह अपने गाँव के पास के एक आश्रम में
एक गाँव में एक मजदूर रहता था जो दिहाड़ी करकेअपने बीवी और बेटे के साथ परिवार का गुज़ारा करता था
एक जगह चर्चा चल रही थी कि गुरू कैसा होना चाहिए. हम सभी यही कहते हैं कि गुरू तो अच्छा
Ek bujurg mataji beas se kuch door rehti thi woh guru ki pyaari thi. Roz subha bhajan simran Karti aur
एक बार एक संत ने अपने दो भक्तों को बुलाया और कहा आप को यहाँ से पचास कोस जाना है।