[149]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामरघुनाथदास जी का उत्कट वैराग्य य: प्रव्रज्य गृहात् पूर्वं त्रिवर्णवपनात् पुन:।यदि सेवेत तान्
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामरघुनाथदास जी का उत्कट वैराग्य य: प्रव्रज्य गृहात् पूर्वं त्रिवर्णवपनात् पुन:।यदि सेवेत तान्
एक बार एक गुरुदेव अपने शिष्य को अहंकार के ऊपर एक शिक्षाप्रद कहानी सुना रहे थे एक विशाल नदी जो
*प्रख्यात संत को उनके तीन जन्मों का दृश्य उनके गुरुदेव ने दिखाया उनमें से प्रथम थे सन्त कबीर, दूसरे समर्थ
21 दिसम्बर सन सत्रह सौ चार…छह महीने से पड़े मुगलों के घेरे को तोड़ कर अपनी चार सौ की फौज
एक व्यक्ति अपने गुरु के पास गया और बोला, गुरुदेव, दुख से छूटने का कोई उपाय बताइए। शिष्य ने थोड़े
. महर्षि अगस्त्यजी के शिष्य सुतीक्ष्ण गुरु-आश्रम में रहकर अध्ययन करते थे। विद्याध्ययन समाप्त होने पर एक दिन गुरूजी
👇कपिलमुनि का परिचय**कपिल मुनि ‘सांख्य दर्शन’ के प्रवर्तक थे,जिन्हें भगवान विष्णु का पंचम अवतार माना जाता है। इनकी माता का
एक शिष्य अपने गुरु के आश्रम में कई वर्षों तक रहा। उसने उनसे शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया। एक दिन
गुरु को कीजिए बंदगी।बार बार दंडवत प्रणाम।।खंड और ब्राह्मड में।नहीं कोई गुरु समान।।देवी देवता मन कल्पना।एक गुरु ही है भगवान।।ब्रह्मा
रामकृष्ण परमहंस को गले का कैंसर था। पानी भी भीतर जाना मुश्किल हो गया, भोजन भी जाना मुश्किल हो गया।