प्रभु का आभामंडल
ये सुरज और चांद नहीं ये प्रभु का आभामंडल है। भगवान कृष्ण जल में झांकते है मस्तक पर चमकता प्रकाश
ये सुरज और चांद नहीं ये प्रभु का आभामंडल है। भगवान कृष्ण जल में झांकते है मस्तक पर चमकता प्रकाश
भगवान कृष्ण अर्जुन को कर्मयोग में ज्ञानयोग भक्तीयोग को समझा रहे हैं। कर्म जब भगवान को भजते हुए समर्पित भाव
एक सखी उस सांवरे से कुछ समय बाद मिलन की बात कर रही है तब दुसरी सखी पहली सखी से
जा री सखी कह दे गिरधर से….तेरे इन्तज़ार में बैठी हूँ, आयेगा मोहन लेने मुझे……मैं तेरी जोगन हुए बैठी हूँ….
ये रहस्य वृन्दावन वासी ही जानते है की जो सर्वाधार है जगदाधार है सकल लोक चूड़ामणि है उन कृष्ण का
एक बार देवी सत्यभामा ने देवी रुक्मणि से पूछा कि दीदी! क्या आपको मालूम है, कि श्री कृष्ण जी बार
एक गाँव के बाहरी हिस्से में एक वृद्ध साधु बाबा छोटी से कुटिया बना कर रहते थे। वह ठाकुर जी
ठाकुर जी के प्रेमी भक्त ‘श्री जयकृष्ण दास बाबा जी’ के जीवन का एक सुंदर प्रसंग उल्टी रीति == अगर
चरणों में आकर तेरे बस जाऊं दुर कही ना जाऊं।जिंदगी भर को बस तेरे नयनों में कैद हो जाऊं॥ढूंढ सके
ये तो प्रेम की बात है उधो, बंदगी तेरे बस की नहीं है।यहाँ सर देके होते है सौदेआशकी इतनी सस्ती