नन्हे कृष्ण कन्हैया बाल लीला
“नन्हे कृष्ण कन्हैया अपनी मैया यशोदा से झगड़ रहे हैं, ‘काचो दूध पियावति पचि-पिच’- कहती है दिन में कई बार
“नन्हे कृष्ण कन्हैया अपनी मैया यशोदा से झगड़ रहे हैं, ‘काचो दूध पियावति पचि-पिच’- कहती है दिन में कई बार
काशी ही मधुवन हो जाए,विश्वनाथ धड़कन हो जाए!नयनों में महाकाल बसे तो,सन्यासी ये मन हो जाए!सोमनाथ का करें स्मरण,मल्लिकार्जुन तन
हरि ॐ तत्सत कठोर तप पार्वती शिव प्राप्त, श्रृद्धा पार्वती विस्वास शिव, ज्ञान गंगा को शिव जी अपने मस्तक,यानी अपनी
नवधा भगति कहेउ तोहि पाहि। सावधान सुनू धरु मन माहीं।।प्रथम भगति संतन्ह कर संगा। दूसरी रति मम कथा प्रसंगा।।अर्थ –
बंधुओं यह बात लगभग 45- साल पुरानी है। जब मैं अपने घर के बाहर एक चबूतरे पर बैठकर राम चरित्र
सांकरी गली एक ऐसी गली है जिससे एक – एक गोपी ही निकल सकती है और उस समय उनसे श्याम
एक गोपी एक वृक्ष के नीचे ध्यान लगा बैठ जाती है। कान्हा को सदा ही शरारतें सूझती रहती हैँ। कान्हा
रामायणकी शक्तिकी कौन कहे, क्या कहीं नजर आता है ऐसा सम्राट्, साम्राज्य, अवतार या पैगम्बर जो भगवान् श्रीरामकी तुलनामें ठहर
भगवान शिव के एक बहुत बड़े भक्त थे, जिनका नाम था नरहरि सुनार। वह पंढरपुर में रहते थे। शिव भक्ति
महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद अर्जुन को वहम हो गया कि वो श्री कृष्ण के सर्व श्रेष्ठ भक्त है,अर्जुन