
भगवान के भाव
गोपियों का दिन रात हर क्षण प्रभु के साथ मिलन है। रोम रोम से कृष्ण नाम की ध्वनि गुंज रही
गोपियों का दिन रात हर क्षण प्रभु के साथ मिलन है। रोम रोम से कृष्ण नाम की ध्वनि गुंज रही
भगवान से प्रेम करो प्राणी से प्रेम करो। हर स्पर्श में जङ और चेतन में परमात्मा बसा हुआ है। परमात्मा
अरे सांवरे तुझे तो छुपना भी नहीं आया। तु छुप तो गया पर कर्म की चाबी हमे देकर चला गया।
सुक्ष्म तत्व में परमात्मा के चिन्तन के अलावा कुछ भी नहीं है। भगवान को हम शरीर रूप से भजते भगवान
हम शीश सबको नवाये पुजा किसी एक की दिन रात करे। अपना एक ही पार लगा देगा। रोज अनेक देवी
जंहा मै नहीं है जगत नहीं है शरीर नहीं है। चेतन आत्मा का अनुभव होने लगता है। आत्म आनंद का
मानव जीवन मे परम पिता परमात्मा का नाम और चिंतन एक ऐसा विस्वास है कि हम भगवान को भजते हुए
परमात्मा को जानने के लिए हर क्षण परमात्मा का बनना होता है। अहो वह कोन सी घङी होगी जब मेरे
हम भगवान् के नाम की माला फेरे, भागवत गीता, रामायण पढे मन्दिर में जाये और साथ में हमे जब भी
हमारे धर्म में राम जी को कृष्ण जी भगवान है। हम भगवान् पर विश्वास करे तो भगवान् हमारी इच्छा होते