सच्ची भक्ति और परमेश्वर की प्राप्ति इसी जन्म में ही हो सकती है
सच्ची भक्ति और परमेश्वर की प्राप्ति इसी जन्म में ही हो सकती है इसलिए जो कुछ करना है अब ही
सच्ची भक्ति और परमेश्वर की प्राप्ति इसी जन्म में ही हो सकती है इसलिए जो कुछ करना है अब ही
कृष्ण के साथ राधा का नाम ऐसे जुड़ा है जैसे काया के साथ छाया जुड़ी होती है। लेकिन शास्त्र कहते
सखी! दोउ, झूलत मृदु मुसकात।ज्योँ सखि! गगन मगन मन घनगन, घनन – घनन घननात।त्योँ सखि! इत घनश्याम मगन मन, झूलत
मारुति नंदन नमो नमःकष्ट भंजन नमो नमःअसुर निकंदन नमो नमःश्रीरामदूतम नमो नमः !जिनके मन में बसे श्री राम जी, उनकी
जहां शालग्राम शिला रहती है वहां भगवान श्रीहरि व लक्ष्मीजी के साथ सभी तीर्थ निवास करते हैं हिमालय पर्वत के
हनुमान जी की मान्यता पर विचार करें, इस जगत में जितने पूजाघर हैं, सबसे अधिक हनुमान जी के हैं। सबसे
पंचांग के अनुसार, हर एक दिन किसी न किसी देवी- देवता को समर्पित है। इसी तरह रविवार का दिन भगवान
वृंदावन की गली में एक छोटा सा मगर साफ़ सुथरा,सजा संवरा घर था। एक गोपी माखन निकाल रही है और
राधे राधे कृष्ण कन्हैया की वंशी का स्वर केवल गोपियों को ही क्यों सुनाई देता था। ब्रज में गोप-ग्वाल नंदबाबा
ऐसी बात सोच कर आप तनिक भी दु:खी न हों।हम सभी एक ही प्रभु की संतान हैं और उन्हें हमारे