विरह सच्चा प्रेम है
गोपियाँ श्री कृष्ण से पूछती हैं कि कान्हा बताओतुम जिस पर कृपा करते हो उसे क्या प्रदान करते हो.तो श्यामसुंदर
गोपियाँ श्री कृष्ण से पूछती हैं कि कान्हा बताओतुम जिस पर कृपा करते हो उसे क्या प्रदान करते हो.तो श्यामसुंदर
एक बार कान्हा जी एक गोपी के घर में चोरी से गए और कमरे के बीचोंबीच एक मटकी में माखन
विशदवाससं विस्तृतोरसं विमलतेजसं विद्धराक्षसम्।विगततामसं विष्टरौकसं विभुमुपास्महे विघ्ननायकम्।।१।। विधिहरिस्तुतं विष्टरस्थितं विपुललोचनं वीर्यशालिनम्।विकटविक्रमं विद्ययावृतं विभुमुपास्महे विघ्ननायकम्।।२।। विबुधसत्तमं विप्रपूजितं विधुकुलोज्ज्वलं विघ्ननाशनम्।विधृतभूषणं वीतरागिणं विभुमुपास्महे
श्री गुरुगीता प्रास्ताविक भगवान शंकर और देवी पार्वती के संवाद में प्रकट हुई यह ‘श्रीगुरुगीता’ समग्र ‘स्कन्दपुराण’ का निष्कर्ष है।
जिनके देह नेह परि पूरण तें जगमगात जग माँहीं ।जिन दरसें जिन परसें चिकनें रोम रोम ह्वै जाँहीं ॥नरपसु दाग
निकुञ्ज में बैठी सखियाँ परस्पर श्रीकृष्ण की चर्चा करती हुई हार गूंथ रही थीं। इतने में ही उधर से एक
यह थोड़ी सी दक्षिणा है। इसे स्वीकार करने की कृपा करें।’- मीरा ने उन्हें भोजन कराकर तथा दक्षिणा देकर विदा
आगे आगे मुकुंद दास जी और प्रताप सिंह जी ने, राजसी वस्त्रों से सजे, कमरबंद में दो दो तलवारें कटारें
बहूत सुंदर लीला है राधा कृष्ण की (जिसके हृदय में श्रीकृष्ण का दिव्यप्रेम है, वही श्री राधा के प्रेम को
बड़ी प्यारी घटना है। जब मीरा वृंदावन के सबसे प्रतिष्ठित मंदिर में पहुंची तो उसे दरवाजे पर रोकने की कोशिश