मीरा चरित भाग 9
‘वाह, तुमने तो चारणोंके समान प्रसन्न कर दिया मुझे। सच, जिस समय कड़खों और रणभेरीकी आवाजें कानोंमें पड़ती हैं। कवचकी
‘वाह, तुमने तो चारणोंके समान प्रसन्न कर दिया मुझे। सच, जिस समय कड़खों और रणभेरीकी आवाजें कानोंमें पड़ती हैं। कवचकी
यदि वे मुझे जलती हुई अग्निमें कूद पड़नेको कहें तो क्या मैं यह आगा-पीछा सोचूँगा कि मेरे पीछे मेरी पत्नी
ठाकुरजीको ही बाहर ले जाकर दिखा देती न? सारे रनिवासमें दौड़म-दौड़ मच गयी।’ ‘बीनणी! काला री गत कालो इ जाणे।
मैंने सुना है, एक सूफी फकीर के आश्रम में प्रविष्ट होने के लिये चार स्त्रियां पहुंचीं। उनकी बड़ी जिद थी,
।। श्री: कृपा ।।🌿 पूज्य “सद्गुरुदेव” जी ने कहा – सफलता की प्राप्ति के लिए ज्ञान, पुरुषार्थ के अतिरिक्त सही
एक बार निकुंज में श्याम सुंदर जी ने प्रिया जी के लिए निकुंज सजाया माला बनायीं हाथो से बीड़ा पान
कृष्ण कन्हैया की वंशी का स्वर केवल गोपियों को ही क्यों सुनाई देता था। व्रज में गोप-ग्वाल नंदबाबा यशोदा सभी
🌼मानस प्रसंग 🌼🌼हनुमान सम नहिं बड़भागी 🌼रामकथा जिसके मन का उदगार हैं ऐसे महादेव, भूत भावन, आशुतोष, विश्वनाथ, भगवान शंकर,
🙏जय श्री राम🙏पवनसुत हनुमान जी की जय हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम।राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम॥1॥
अनन्त बलवंत, ज्ञानियों में अग्रगण्य, कनक भूधराकार शरीरधारी, सौमित्र प्राणरक्षक, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के परमप्रिय भक्त, जनक नन्दिनी