[154]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपुरीदास या कवि कर्णपूर जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धा: कवीश्वरा:।नास्ति तेषां यश:काये जरामरणजं भयम्॥
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपुरीदास या कवि कर्णपूर जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धा: कवीश्वरा:।नास्ति तेषां यश:काये जरामरणजं भयम्॥
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री शिवानन्द सेन की सहनशीलता न भवति भवति च न चिरंभवति चिरं चेत्
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामगोपीनाथ पट्टनायक सूली से बचे अकाम: सर्वकामो वा मोक्षकाम उदारधी:।तीव्रेण भक्ति योगेन यजेत
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामधन मांगने वाले भृत्य को दण्ड धनमपि परदत्तं दु:खमौचित्यभाजांभवति हृदि तदेवानन्दकारीतरेषाम्।मलयजरसविन्दुर्बाधते नेत्रमन्त-र्जनयति च
उ०- शरीर से आत्मा के वियोग होने को मृत्यु कहते है।प्र०- क्या आत्मा अपनी इच्छा से दूसरे शरीर मे प्रवेश
“बरसाना”बरसाने की पीली पोखर से प्रेम सरोवर जाने वाले रास्ते से कुछ हटकर वन प्रांत में एक पुराना चबूतरा है।
न जाने कौन से गुण पर कृपा निधि रीझ जाते है द्वापर में चक्रिक नामक एक भील वन में रहता
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामछोटे हरिदास को स्त्री-दर्शन का दण्ड निष्किंचनस्य भगवद्भजनोन्मुखस्यपारं परं जिगमिषोर्भवसागरस्य।संदर्शनं विषयिणामथ योषितांचहा हन्त
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामरघुनाथदास जी का उत्कट वैराग्य य: प्रव्रज्य गृहात् पूर्वं त्रिवर्णवपनात् पुन:।यदि सेवेत तान्
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री रघुनाथदास जी का गृह त्याग गुरुर्न स स्यात् स्वजनो न स स्यात्पिता