भगवान (Bhagvan)

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[110]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामनौरो जी डाकू का उद्धार संसारसिन्‍धुतरणे हृदयं यदि स्‍यात।संगीर्तनामृतरसे रमते मनश्‍चेत।प्रेमाम्‍बुधौ विहरणे यदि

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[109]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामदक्षिण के शेष तीर्थों में भ्रमण महद्विचलनं नृणां गृहिणां दीनचेतसाम।नि:श्रेयसाय भगवन कल्‍पते नान्‍यथा

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[108]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामदक्षिण के तीर्थों का भ्रमण (2) परोपकृतिकैवल्‍ये तोलयित्‍वा जनार्दन:।गुर्वीमुपकृतिं मत्‍वा ह्यवतारान दशाग्रहीत।। साधारण

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[107]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामधनी तीर्थराम को प्रेम और वेश्याओं का उद्धार रे कन्‍दर्प करं कदर्थयसि किं

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[106]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामदक्षिण के तीर्थों का भ्रमण भगद्विधा भागवतास्‍तीर्थभूता: स्‍वयं विभो।तीर्थीकुर्वन्ति तीर्थानि स्‍वान्‍त: स्‍थेन गदाभृता।।

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शुद्ध हृदय…….

🌷”वृंदावन” में एक भक्त रहते थे जो स्वभाव से बहुत ही भोले थे। उनमे छल, कपट, चालाकी बिलकुल नहीं थी।

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[105]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामराय रामानन्‍द से साधन-सम्‍बन्‍धी प्रश्‍न सञ्चार्य रामाभिधभक्‍तमेघेस्‍वभक्तिसिद्धान्‍तचयामृतानिगौराब्धिरेतैरमुना वितीर्णै –स्तञ्ज्ञत्वरत्नालयतां प्रयाति।। दोनों ही पागल

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[104]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामराय रामानन्‍द द्वारा साध्‍य तत्‍व प्रकाश उदयन्‍नेव सविता पद्मेष्‍वर्पयति श्रियम्।विभावयन् समृद्धीनां फलं सुह्रदनुग्रहम्।।

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[103]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामराजा रामानन्‍द राय वाञ्छा सज्‍जनसंगमे परतुणे प्रीतिर्गुरौ नम्रताविद्यायां व्‍यसनं स्‍वयोषिति रतिर्लोकापवादाद्भयम्।भक्ति: शूलिनि शक्तिरात्‍मदमने

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[102]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामवासुदेव कु‍ष्‍ठीका उद्धार धन्‍यं तं नौमि चैतन्‍यं वासुदेवं दयार्द्रधी:।नष्‍टकुष्‍ठं रुपपुष्‍टं भक्तितुष्‍टं चकार य:।।

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