[110]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामनौरो जी डाकू का उद्धार संसारसिन्धुतरणे हृदयं यदि स्यात।संगीर्तनामृतरसे रमते मनश्चेत।प्रेमाम्बुधौ विहरणे यदि
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामनौरो जी डाकू का उद्धार संसारसिन्धुतरणे हृदयं यदि स्यात।संगीर्तनामृतरसे रमते मनश्चेत।प्रेमाम्बुधौ विहरणे यदि
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामदक्षिण के शेष तीर्थों में भ्रमण महद्विचलनं नृणां गृहिणां दीनचेतसाम।नि:श्रेयसाय भगवन कल्पते नान्यथा
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामदक्षिण के तीर्थों का भ्रमण (2) परोपकृतिकैवल्ये तोलयित्वा जनार्दन:।गुर्वीमुपकृतिं मत्वा ह्यवतारान दशाग्रहीत।। साधारण
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामधनी तीर्थराम को प्रेम और वेश्याओं का उद्धार रे कन्दर्प करं कदर्थयसि किं
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामदक्षिण के तीर्थों का भ्रमण भगद्विधा भागवतास्तीर्थभूता: स्वयं विभो।तीर्थीकुर्वन्ति तीर्थानि स्वान्त: स्थेन गदाभृता।।
🌷”वृंदावन” में एक भक्त रहते थे जो स्वभाव से बहुत ही भोले थे। उनमे छल, कपट, चालाकी बिलकुल नहीं थी।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामराय रामानन्द से साधन-सम्बन्धी प्रश्न सञ्चार्य रामाभिधभक्तमेघेस्वभक्तिसिद्धान्तचयामृतानिगौराब्धिरेतैरमुना वितीर्णै –स्तञ्ज्ञत्वरत्नालयतां प्रयाति।। दोनों ही पागल
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामराय रामानन्द द्वारा साध्य तत्व प्रकाश उदयन्नेव सविता पद्मेष्वर्पयति श्रियम्।विभावयन् समृद्धीनां फलं सुह्रदनुग्रहम्।।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामराजा रामानन्द राय वाञ्छा सज्जनसंगमे परतुणे प्रीतिर्गुरौ नम्रताविद्यायां व्यसनं स्वयोषिति रतिर्लोकापवादाद्भयम्।भक्ति: शूलिनि शक्तिरात्मदमने
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामवासुदेव कुष्ठीका उद्धार धन्यं तं नौमि चैतन्यं वासुदेवं दयार्द्रधी:।नष्टकुष्ठं रुपपुष्टं भक्तितुष्टं चकार य:।।