भगवान (Bhagvan)

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[73]श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामभक्तों की लीलाएँ तत्तद्भावानुमाधुर्य्ये श्रुते धीर्यदपेक्षते ।नात्र शास्त्रं न युक्तिंच तल्लोभोत्पत्तिलक्षणम् ।। प्रकृति

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[79]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपरम सहृदय निमाई की निर्दयता वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि।लोकोत्तराणां चेतांसि को हि विज्ञातुमीश्‍वर:।।

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[72]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामक़ाज़ी की शरणागति वन्‍दे स्‍वैराद्भुतेअहं तं चैतन्‍यं यत्‍प्रसादत:।यवना: सुमनायन्‍ते कृष्‍णनामप्रजल्‍पका:।। बिना मुकुट के

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[71]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामनदिया में प्रेम-प्रवाह और क़ाज़ी का अत्‍याचार नामैकं यस्‍य वाचि स्‍मरणपथगतं श्रोत्रमूलं गतं

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[70]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामभगवत्-भजन में बाधक भाव भगवन्‍नाम सभी प्रकार के सुखों को देने वाला है।

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[68]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीकृष्‍ण–लीलाभिनय कवचिद रूदति वैकुण्‍ठचिंतासबलचेतन:।क्‍वचिद्धसति तच्चिन्‍ताह्लाद उद्गायति क्‍वचित्।।नदति क्‍वचिदुत्‍कण्‍ठो विलज्‍जो नृत्‍यति क्‍वचित्।क्‍वचित्तद्भावनायुक्‍तस्‍तन्‍मयोऽनुचकार ह।। यदि

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[66]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामजगाई-मधाई का पश्‍चात्ताप न चाराधि राधाधवो माधवो वान वापूजि पुष्‍पादिभिश्‍चन्द्रचूड:।परेषां धने धन्धने नीतकालोदयालो

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[67]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसज्‍जन-भाव तृष्‍णां छिन्धि भज क्षमां जहि पापे रतिं मा कृथा:सत्‍यं ब्रूह्यनुयाहि साधुपदवीं सेवस्‍य

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[69]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम भक्‍तों के साथ प्रेम-रसास्‍वादन सर्वथैव दुरूहोअयमभक्‍तैर्भगवद्रस: । तत्‍पादाम्‍बुजसर्वस्‍वैर्भक्‍तैरेवानुरस्‍यते ।। प्रेम की उपमा

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[65]”श्रीचैतन्य–चरितावली

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामजगाई और मधाई की प्रपन्‍नता सकृदेव प्रपन्‍नाय तवास्‍मीति च याचते।अभयं सर्वभूतेभ्‍यो ददाम्‍येतद् व्रतं

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