प्रेम तत्व
श्री राधा कितना सुंदर भाव है प्रेम ॥संसार में प्रेम को सर्वाधिक मधुर भावना माना जाता है ॥ जबकी संसार
श्री राधा कितना सुंदर भाव है प्रेम ॥संसार में प्रेम को सर्वाधिक मधुर भावना माना जाता है ॥ जबकी संसार
21 दिसम्बर सन सत्रह सौ चार…छह महीने से पड़े मुगलों के घेरे को तोड़ कर अपनी चार सौ की फौज
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीवास के घर संकीर्तनारम्भ चेतोदर्पणमार्जनं भवमहादावाग्निनिर्वापणंश्रेयःकैरवचन्द्रिकावितरणं विद्यावधूजीवनम्।आनन्दाम्बुधिवर्द्धनं प्रतिपदं पूर्णामृतास्वादनंसर्वात्मस्नपनं परं विजयते श्रीकृष्णसंकीर्तनम्।। सम्पूर्ण
।। श्रीहरि:।।* [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम *दिग्विजयी का वैराग्य* [30]
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम अद्वैताचार्य और उनका सन्देह अर्चयित्वा तु गोविन्दं तदीयान्नार्चयेत्तु यः। न स भागवतो
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम पूर्व बंगाल की यात्रा विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन। स्वदेशे
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम पत्नी-वियोग और प्रत्यागमन पतिर्हि देवो नारीणां पतिर्बन्धुः पतिर्गतिः। पत्युर्गतिसमा नास्ति दैवतं वा
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम नवद्वीप में दिग्विजयी पण्डित सभायां पण्डिताः कोचित्केचित्पण्डितपण्डिताः। गृहेषु पण्डिताः केचित्केचिन्मूर्खेषु पण्डिताः।। भगवद्दत्त
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम दिग्विजयी का पराभव परैः प्रोक्ता गुणा यस्य निर्गुणोऽपि गुणी भवेत्। इन्द्रोऽपि लघुतां
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम नवद्वीप में ईश्वरपुरी येषां संस्मरणात्पुंसां सद्यः शुद्ध्यन्ति वै गृहाः। किं पुनर्दर्शनस्पर्शपादशौचासनादिभिः।। बड़े-बड़े