केवल भगवान विष्णु के साथ ही “श्री” क्यों लगाया जाता है?
आप सभी ने ये ध्यान दिया होगा कि जब भी हम भगवान विष्णु और उनके अवतारों के विषय में बात
आप सभी ने ये ध्यान दिया होगा कि जब भी हम भगवान विष्णु और उनके अवतारों के विषय में बात
वैसे तो भगवान विष्णु के नाम अनंत हैं किन्तु विष्णु पुराण में उनके १००८ मुख्य नामों का वर्णन है जिसे
एक दिन एक भक्त के पेट में दर्द हो जाता है दर्द दो तीन दिन रहता है भक्त सोचता है
मैं वह भारत हूँ जिसने पिछले पाँच हजार वर्ष में कभी अपने किसी बेटे का नाम दु:शासन नहीं रखा क्योंकि
*ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगम्**निर्मलभासित शोभित लिंगम्।**जन्मज दुःख विनाशक लिंगम्**तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥1॥* *देवमुनि प्रवरार्चित लिंगम्**कामदहन करुणाकर लिंगम्।**रावणदर्प विनाशन लिंगम्**तत्
अपने सामने ही एक एक कर अपने सात पुत्रों की हत्या देख कर टूट चुका वह पिता अपनी गोद में
भगवान को याद करते हुए यह सोच सकते हैं। कि आज मेरे स्वामी भगवान् नाथ देखो मुस्करा रहे हैं। भगवान
श्री राधा मान कर रहीं हैं। रूठी हुई राधा रानी को श्याम सुन्दर मनाने का बहुत प्रयास कर रहे हैं।श्री
शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है, लेकिन बहुत ही कम लोग इन अवतारों के
|| श्रीहरी: ||मधुर – झाँकी १(— :: x :: — गत पोस्ट से आगे …….एक उच्च भावमयी नवीन गोपी साधिका