गोपी-भाव
आज का प्रभु संकीर्तन।जब तक किसी भक्त में प्रेम की प्यास गोपी की तरह नही होगी,तब तक भक्त को श्री
आज का प्रभु संकीर्तन।जब तक किसी भक्त में प्रेम की प्यास गोपी की तरह नही होगी,तब तक भक्त को श्री
श्रीवृषभान नृपति के आंगन,बाजत आज वधाई सो ।।कीरति देरानी सुखसानी सुता,सुलच्छन जाई हो ।।भक्ति सर्ब दासी है जाकी,सियाहूते अधिक सुहाई
आप अभी जानते हैं कि जैसे ही आप बिहारी जी की गली में पहुंचते हैं तो दर्शन के लिए
*मैं निराकार, मैं ही आकार हूँ,**मैं महाकाल, मैं ही किरात हूँ ।।**समय का प्रारब्ध, मैं समय का ही अंत हूं,**मैं
सुभाषितॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै॥ अर्थात:परमेश्वर हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ
सभी महान गुरुजन बताते हैं, कि इस शरीर के भीतर अमर आत्मा है। उस ईश्वर की एक चिंगारी जो सब
भगवान श्री कृष्ण गोपियों के नित्य ऋणी हैं, उन्होंने अपना यह सिद्धात घोषित किया है:- ये यथा माँ प्रपधन्ते तांस्तथै
एक समय भगवान कृष्ण ने, अर्जुन को कजली बन में पुष्प लेने के लिए भेजा। हनुमान जी वहां केले के
गरुड़ देव के ये रहस्य आपको आश्चर्यचकित कर देंगे! आखिरकार भगवान विष्णु के वाहन गरूढ़ का क्या रहस्य है? क्यों
एक संत थे वे राम कथा लिखते थे दिन भर में जो लिखते थे शाम को भक्त लोग इकट्ठा होते