घर मुड़ आ बालका वे
मैं रोटियां गिन के वे बिशोडा मूल ले बैठी तेरा, घर मुड़ आ बालका वे कलि दा जी नि लगदा
मैं रोटियां गिन के वे बिशोडा मूल ले बैठी तेरा, घर मुड़ आ बालका वे कलि दा जी नि लगदा
दर दर ते क्यों जावे भगता जा के देख जोगी दे द्वारे दर आये भगता नु बाबा जी बाहों फड
रुलदा रहे जी जेहड़ा भुल्दा रहे, भुल्दा रहे जी ओह रुलदा रहे, रुलदा रहे जी जेहड़ा भुल्दा रहे, झंडा बाबे
भर लवो झोलियाँ जी भर लवो झोलियाँ, वंडदा मुरादा अज जोगी पौनाहारीया, सदा खुले रहंदे ने दुआरे दुधाधारी दे, दुःख
छन छन चिमटा वजदा मेरे सिद्ध जोगी दा रूप चन तो सोहना लगदा मेरे सिद्ध जोगी दा एह इस चिमटे
विच शाह तलाईया दे साडे बाबा जी दा डेरा है, बाबा जी दा डेरा साड़े नाथ जी दा डेरा, गुफा
चंगे कर्म कमावा छोटे वड़े ताहि चाहवा, महल दूसरे दा देख कुली अपनी न टावा, जेहड़ी तेरे वल आवे ओह
जोगी मेरा जोगी मेरा चाँद वरगा, मेरी प्रीत न चकोरा वाली, चंद न भी चंद न भी दाग पे गया
जोगी के दर पे, संगत आ गई है, उस बालक के, दर्शन पा रही है l सुन रहे हैं जोगी,
मैं ते जोगी दे मंदिरा नु जाना जोगी ने मैनु आप सदया, जाके गुफा ते दीदार ओहदा पाना जोगी ने