
जय जय विष्णु प्रिये
जय जय जनक सुनन्दिनी, हरि वन्दिनी हे। दुष्ट निकंदिनि मात, जय जय विष्णु प्रिये । सकल मनोरथ दायनी, जग सोहिनी

जय जय जनक सुनन्दिनी, हरि वन्दिनी हे। दुष्ट निकंदिनि मात, जय जय विष्णु प्रिये । सकल मनोरथ दायनी, जग सोहिनी

छुम छुम छनन बाजे मैया पाओ पंजरिया, पाओ पंजरिया मैया पाओ पंजरिया मैया, कौन गरधआवे मैया पाओ पेजनिया ॥ कौन

आओ जी आओ एक बार भवानी, मेरे घर में पधारो एक बार भवानी, आओ आओ जी एक बार……. करो किरपा

रहमतो का ख़जाना लुटाती है जो, झंदेवाली है वो शेरा वाली है वो, सबको सीने से अपने लगती है जो

माँ आये विधाई के पल तुझबिन आ जायेगा कल रोये याहा तेरी सन्तान, वाहा भीगे तेरा आँचल माँ आये विधाई

तेरे द्वारे सोहने लगदे सुहे सुहे झंडे सजदे , जगमग ज्योत जगियाँ मैया जी तेरे चरना विच मौजा ई मौजा

वे मैं चुनरी माँ दी लै के जानी ऐ दरबार शेरा वाली मैया मेरी ने आ के सुपने च दिते

दरबार तेरे आया फूलो का हार लेकर, बिगड़ी मेरी बनादे अपना तू प्यार देकर, सुनते है तेरी रेहमत दिन रात

मन में धारण करो माँ का नाम संतोषी मैया बिगड़े बनाये सबके काम माता सब के काज सवारे जो भी

ਵਾਜਾਂ ਮਾਰੀਆਂ ਬੁਲਾਇਆ ਲੱਖ ਵਾਰੀ, ਕਿਸੇ ਨੇ ਮੇਰੀ ਬਾਂਹ ਨਾ ਫੜੀ । ਮੇਰੀ ਉਮਰ ਬੀਤ ਗਈ ਸਾਰੀ, ਕਿਸੇ ਨੇ ਮੇਰੀ