हे सरस्वती माँ ज्ञान की देवी किरपा करो
हे सरस्वती माँ ज्ञान की देवी किरपा करो देकर वरदान हे मात मेरा अज्ञान हरो करुनामई है तू वरदानी कमल
हे सरस्वती माँ ज्ञान की देवी किरपा करो देकर वरदान हे मात मेरा अज्ञान हरो करुनामई है तू वरदानी कमल
मैं वाज़ां मारियाँ दर ते खलो के तू मैया मेरी इक न सुनी सब वेखिया तमाशा रो रो के तू
मेरी माँ तुम्हरी झोली भरेगी, दुखारो के हर दुःख को हरेगी, माँ के दर्शन को हम अये माँ के दवार,
कावा वे सुन कावा साऊन महीने आ गया मैं वी माँ दा दीदार जा के पावा कावा वे सुन कावा
तेरी भोली सूरत मन भावे है मैया जी मेरे मन भाई मेरे मन में समाई तेरी भोली सूरत मन भावे
आ जाओ कर लो तयारी चिठ्ठी मैया जी दी आई मेला भवना ते लगेया बुलावे महामाई ढोल वजदे ते गूंजदे
चुनरिया माँ की रेशमी कोई गोटा लगाओ रे हो मैया रानी आ गयी जयकारा लगाओ रे चनरिया माँ की रेशमी
सची ज्योत विचो कर लो दीदार माई दा, आओ लै लो जिहने लेना ऐ प्यार माई दा सची ज्योत विचो
मैं बछड़ा तेरे दर दा नि माये मैया आन डिगा दर तेरे कुल दुनिया दी मालिक तुहियो मैया भाग जगा
किसने सजाया*, तेरा भवन xll “बड़ा प्यारा लागे, बड़ा सोहना लागे” xll ये हार गुलाबी ( मईया जी ) किसने