जैसा चाहो मुझको समजना
जैसा चाहो मुझको समजना बस तुमसे माँ इतना है केहना, मांगने की आद्दत जाती नही तेरे आगे लाज मुझे आती
जैसा चाहो मुझको समजना बस तुमसे माँ इतना है केहना, मांगने की आद्दत जाती नही तेरे आगे लाज मुझे आती
कलकता की काली माई जय भवानी हो हवन करे है मैया तेरे द्वार में अहो देवी काली खप्पर वाली जय
भक्तो का सहारा है मेरी कालका देवी माँ दुखियो का गुजारा है मेरी कालका देवी माँ भक्तो का सहारा है
अनुपम कन्या रूप सलोना वैष्णो उसका नाम है सतसंघ पर्वत पर रेहती त्रिकुट घाटी पर धाम है जय जय वैष्णो
मैं बलिहारी तेरी ज्योता तो बलिहारी पौनावाली तेरी ज्योता तो बलिहारी नगर नगर अस्थान तुम्हारा हर था ज्योत न्यारी तेरी
तर्ज – छू कर मेरे मन को किया आये मेरी माँ के पावन नवराते घर घर मे होंगे , मैया
माँ शेरोवाली जग से निराली सुनती है सबकी जो भी दर पे आये मैं भी दर पे तेरे आ गया
दिल का पपीहा बोले नाम दातिए होके मगन सुबह शाम दातिए तेरे गुण गाउन तुझको ध्याऊँ और दुरसरा ना कोई
हाथो में तलवार खडक ले निकल पढ़ी है काली, भर भर खपर लाहू पी रही माता खपर वाली जय हो
ज्योत जगदी ज्वाला माएँ तेरी ओह दुखिया दे दुःख खंड दी, अकबर राजा’ चल नंगे पैरी आ गया तेरे दर