जो आ गया शरण में
दुर्गा देवी दया नी दुखड़े हरती माता रानी जो आ गया शरण में उनकी रक्शा करे भवानी दुनिया भले ठुकरा
दुर्गा देवी दया नी दुखड़े हरती माता रानी जो आ गया शरण में उनकी रक्शा करे भवानी दुनिया भले ठुकरा
करो असुरो का नाछ माँ काली जिसने बुरी नजर है डाली भीड़ बड़ी भगतो पर काली, आकर हमे बचाओ हे
माँ तू सब ते रेहमता करदी है, सबना दे दुखड़े हरदी है, तू किता है उपकार मियां आज खुशियां पाइयाँ
चारो धाम का फल पायेगा तू जिस के दीदार से, ऐसा तीर्थ मिलेगा केवल मैया के दरबार पे। झोली फैला
आई तेरे दर पे माँ दर्शन दे, खड़ी हु मैं तोहरी दुवरियां अब तो लेले खबरियां आई तेरे दर पे
होंगे ठाठ निराले तेरे होंगे ठाठ निराले , तू भी इस नवराते में पहाड़ी माँ का निशान उठा ले ।
जब तक चुनरी जाचे न जाचे न ये दरबार, मैया थारी चुनरी जचावा सो सो बार, जब तक चुनरी जाचे
मैया जी हम शरण तेरे हम पे किरपा करना हम तो है लाल तेरे हो दिल ने तेरी पूजा की
ज्योति जगा के तेरी पूजा करू माँ गाउ महिमा तुम्हारी, बन के मैं दास गाउ महिमा तुम्हारी, ज्योति जगा के
टलियां वजाउंदे जाना जय जय माँ गाउँदे जाना, भगता संग रलमिल के आज माँ न थिओन्दे जाना, सदे पाई ओह