सोहना नज़ारा तेरे भवना दा
भवन बना वे उची धार माइये, सोहना नजारा तेरे भवना मंदिरा दा, बगला मुखी मियाँ वनखंडी वसेया, राम वसे मशरुर
भवन बना वे उची धार माइये, सोहना नजारा तेरे भवना मंदिरा दा, बगला मुखी मियाँ वनखंडी वसेया, राम वसे मशरुर
विच्च पहाड़ां गुफा दे अन्दर, मन्दिर एक निराला ए बारो महीने खुलेया रेह्न्दा, ना बुहा ना ताला ए जय माता
मैया लक्ष्मी बड़ी दयाल शरण में आई तेरी, धन धान से पूर्ण करो घर बार हे माँ मेरी, मैया तू
जो आये… जो आये तेरे दरबार, झोलियाँ भर देती, कोई शीश… कोई शीश निवाये इक बार, झोलियाँ भर देती, जो
ओ दुर्गे माँ मेरी बिनती सुन मेरी लगी रे तुझी से आस, के अब तू आके दर्शन दे, दुर्गे माँ
माँ का नाम ध्याले रे बंधू माँ का नाम ध्याले, सुखो का तू बन जा साथी, दुखो से जान छुड़ा
खोल भवन दे द्वार नी माये खोल भवन दे द्वार दुरो दुरो संगता आइया करन लई दीदार माँ खोल भवन
सुनकर के मईया के चर्चे हज़ार , पहुंचा मैं जम्मा के गोरिया दरबार , देखा नजारा तो चकरा गया ,
सुनो मैया मेरी सरकार आगया अब मैं तेरे द्वार दास तेरा हो जाऊं झूठी दुनिया का हू फिलहाल मैं तेरा
मैनु कमली कमली कहन्दे मैं कमली शेरावाली दी, कमली शेरावाली दी सारी दुनिया दे रखवाले दी, मैनु कमली कमली कहन्दे