सावन सुहाना समां
सावन सुहाना समां, आये है लाखों यहाँ । ऐसे में आजा, दर्शन दिखा जा, बैठी है अंम्बे कहाँ । सावन
सावन सुहाना समां, आये है लाखों यहाँ । ऐसे में आजा, दर्शन दिखा जा, बैठी है अंम्बे कहाँ । सावन
शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ, शक्ति दे माँ शक्ति दे माँ । पग पग ठोकर खाऊं, चल ना पाऊं,
राजस्थानमरुप्रदेशजननीं कोटासरे राजितां मानानामपितामहीं भगवतीं,लक्ष्मीमुपाध्यायजां चामुण्डाऽड़्कसुशोभितां रविनिभां शक्तिं महायोगिनीम् देवीं विप्रकुलात्मजां सुविमलां सेवेसतीमम्बिकाम्. भावार्थ:-शार्दूलविक्रीडितम् छंद… राजस्थान धोरों की धरती की
है शुक्र वार का दिन व्रत सफल कर माँ देना, मेरे आतम बल को तू अकरबल कर माँ देना, सिर
हाथ में खंडा तिरशूल लेकर निकलो अब तो महारानी, महामारी से हमे बचालो करदो किरपा अब कल्याणी, हाथ में खंडा
मैया मेरी अर्ज़ी को ना ठुकराना भगतो की विपता माँ मिटाना माँ आना मैया मेरी अर्ज़ी को ना ठुकराना माँ
जय माता की, जय माता की, जय माता की बोल। हीरा जनम है इसे माटी में ना रोल॥ भोर उठ
मेरी मैया बेपरवाह है तू, संकट हरो मेरे बक्सगुन्हा माई तू, मेरी मैया बेपरवाह है तू, मेरे हाथ गंगा जल
मैया के आये नवराते मेहर बरसा दे, खजाने खोल माँ बैठी, शहर शहर जगराते भगत करवाते, खजाने खोल माँ बैठी,
शरदा के फूल चडाते चलो ये है गंगा नहाते चलो तन ये दोबरा मिले न मिले जीवन को पावन बनाते