
ओढ़ के चुनरिया लाल
ओढ़ के चुनरिया लाल, मैं नाचूँ तेरे अँगना मे , *मैं नाचूँ तेरे अँगना मे, दर पे आऊँ हर साल,

ओढ़ के चुनरिया लाल, मैं नाचूँ तेरे अँगना मे , *मैं नाचूँ तेरे अँगना मे, दर पे आऊँ हर साल,

लम्बी लम्बी लगी रे कतार वैष्णो के मंदिर में, त्रिकूट पर्वत मैया विराजे शेरसावरी मैया जी साजे, खूब सजा है

माता होई दयाल ओ भक्तो, मंग लो सुख़ दा दान | पल विच मेहरा वाली मैया कर देंदी कल्याण, जय

चंदन दी चोंकी धावा, उते तेरी जोत जगावा, फिर तेरियां भेटा गावा, मैया जी आ जो, तेरियां उदीका विच बेठे

बोल सांचे दरबार की जय जय वो रास्ता आसान करेगी माँ दूर थकान करेगी आधी शक्ति की शक्ति है, बोल

मैया जी के चरणों मे ठिकाना चाहिए | बेटा जो बुलाए माँ को आना चाहिए || सुन लो ऐ माँ

आज भवानी मां अम्बे ने, दर पे हमें बुलाया है दर्शन देगी आज मां खुल्ले, और आँचल की छाया है

मेरा तेरे बिना लगदा नई जी , तू मेरे घर आ माता, पावन ज्योत का जलवा अकबर ने देखा, भवन

लौंद लाचियाँ मिला के थाल मेवों का सजा के, भोग प्रेम से लगाऊ तेरी आरती माँ गा के, मइयाँ रखु

हम सब है लाल तेरे मेरी माता झण्डेवाली सब कुछ दिया हे तूने इक लाल ओर दे दे, आउंगी तेरे