
पूरब से चलो पश्चिम से चलो
पूरब से चलो, पश्चिम से चलो॥ उतर से चलो दक्षिन से चलो॥ चलो बोल के जय महा मई, पूर्णा के

पूरब से चलो, पश्चिम से चलो॥ उतर से चलो दक्षिन से चलो॥ चलो बोल के जय महा मई, पूर्णा के

मेरा दाना पानी चले मैया तेरे नाम से मरे जीने की कहानी मैया तेरे नाम से जब से मैया तेरा

काली बनी महाकाल रे रूप धरे विकराल रे, हाथ में खपर रूप भयंकर चली ग़जब की चाल रे, काली बनी

वीणा वादिनी माँ हंस वाहिनी माँ, तेरे ज्ञान से रोशन है सारा जहान, कृपा तेरी जिस घर में हो जाएगी

मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे इतना दिया मेरी माता मेरी बिगड़ी माँ ने बनायीं सोयी तकदीर जगाई ये बात

सुनले तू ध्यान से होती यहाँ चौंकी माता आती है वही, स्वागत में माँ के तू ना रखना कमी, किसी

तेरे चरना दे विच माये रहना, माये नि मेरी बाह फड लै, चंगा लगदा नि रोज रोज केहना, माये नि

मेरे घर माता की चौंकी भगतो सारे आना आना जी तुम सारे आना, सोये जागे भाग तुम्हारे मैया सब को

पा दे झोली विच खैर तू पा दे मंगते नु खैर पा दे झोली विच खैर इक वार महारानी पल्ला

मैं नचना माँ दे द्वार आज मैं नचना, चढ़ गई नाम खुमारी सूद भूद भूल गयी सारी, मैनु भूल गया