कैसे कह दू मइया तेरा उपकार नही
कैसे कह दू मइया तेरा उपकार नही, कैसे कह दू तुमको माँ हमसे प्यार नही, मैं ये कैसे कह दू
कैसे कह दू मइया तेरा उपकार नही, कैसे कह दू तुमको माँ हमसे प्यार नही, मैं ये कैसे कह दू
सोने रंगे मंदिरा दे विच वसदी है जह्नु कहन्दे ने चिंतपूर्णी माँ, सब दी चिंता ओह दूर करदी है करे
भक्त जनों कि आस कि भक्तो के विश्वाश की, चोदाहा दिन तेरा भोजन करके श्रधा और विश्वाश की लाज रखो,
मात शारदा उर बसों, धरकर सम्यक रूप, सत्य सृजन करता रहूं, लेकर भाव अनूप, सरस्वती के नाम से, कलुष भाव
माँ का नाम जपे जा हर पल लागे न कोई मोल रे, जय माता दी बोल रे तू जय माता
तू शक्ति है तू ज्वाला है, मेरी बिगड़ी बना दे आज, तुझे ही याद करता हु मुझे दर्शन दिखा दे
चरना च लगे मौजा लैने पाई आ दातिए, तेरिया रंगा च ऐसे रंगे पाए आ दातिए, किवे दसा बोल के
नहियो छड़ना नहियो छड़ना नहियो छड़ना, भावे झिडके तू मार सो सो वारी दुत्कार, असां तेरा द्वारा नहियो छडड़ना
सोहन महीने लगेया मेला मंगल करनी दा, जी करदा मैं वेखा मेला चिंतपूर्णी दा, साल पीछो जद माँ दे दर
दोहा: सदा पापी से पापी को तुम भव सिंदु तारी हो | कश्ती मझधार में नैया को भी पल में