जय लक्ष्मी-सन्तोष स्तुति
जय लक्ष्मी-सन्तोषी शुक्र मंत्र: हिमकुंद मृणालाभं दैत्याना परमं गुरूम्।सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:सर्व मंगल मांगल्ये
जय लक्ष्मी-सन्तोषी शुक्र मंत्र: हिमकुंद मृणालाभं दैत्याना परमं गुरूम्।सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:सर्व मंगल मांगल्ये
।। जय माँ जगदम्बिका ।। तव च का किल न स्तुतिरम्बिकेसकलशब्दमयी किल ते तनु:।निखिलमूर्तिषु मे भवदन्वयोमनसिजासु बहि:प्रसरासु च।। इति विचिन्त्य
इतनी सी फ़रियाद मेरी याद रखना,अटल माँ मेरा सुहाग रखना मैया जी के माथे पे बिंदिया लगी हैबिंदिया लगी है
परिचय : भगतो पर जब भी संकट के बादल मंडराते है,माँ की लाल चुनरिया बच्चो की सिर पर ममता की
चढ़ के चढ़ैया मैयां दर तेरे आनी आ, चरना दे विच बह के मैं तरले पानी आ, चढ़ के चढ़ैया
शेरां वाली न पसंद किवें आई,मुहो कुज बोल चुनिये, ओ कियो झुक्दी है एस था खुदाई मुहो कुज बोल चुनिये,
रूठ गई मैया मेरी जाने किस बात से, पिगले न अनसु की बरसात से, सही ना जाए गी माँ मुझसे
ढोलक वजदी छेने वजदे गूंज रहे जयकारे, भंगड़ा पौंदे ने माँ दे भगत प्यारे, भोले माँ दे भगता ने आज
मैं तो देख आई सारे दरबार मैया का भवन प्यारा लगे, मुझे भाये नहीं कोई दवार,मैया का भवन प्यारा लगे……
जय जय माँ, जय माँ जय जय माँ, जय माँ दे माँ, निज चरणों का प्यार जय जय माँ, जय