
तेरे दर न कोई दरबार
चले पवन भी खुश्बूधार ठंडी छाओ है तेरे दवार, तेरे दर न कोई दरबार आके झुकता है सारा संसार, झुकता
चले पवन भी खुश्बूधार ठंडी छाओ है तेरे दवार, तेरे दर न कोई दरबार आके झुकता है सारा संसार, झुकता
माँ तुझे पुकारे लाल इक बार तो आजा, तेरा बेटा है लाचार माँ इक बार तो आजा, माँ तुझे पुकारे
तेरे ही भरोसे मैं ता आज गया ठगेया, आई न समज कुझ पता भी न लगेया, रेहमता दे सागर तेरे
गली गली में ढूंढ रही हु ढूंढ रही हु कुञ्ज गलियन में, मैया अब तो आके बस जा मेरे इस
अरदास लेखे ला लो माँ करो विनती मंजुर मेरी, जींद चरना दे विच कट जावे झण्ड़ेया वाली सरकार मेरी ,
हिवड़े में वस गयो म्हारो सुंदर सो मुखड़ो थारो, चलो जी नजर उतारा महसर मात की, आज गज़ब का थाणे
खड़क रहियाँ खडतालां माँ, तेरे भवन दे अगे, झुरमट पाया जवाला माँ, तेरे भवन दे अगे, कई न्च्दे तपदे आउंदे
संतोषी मैया मुरदे पूरी करदे मै गुड़ चना बाटूंगा , भोग लगाके तुझे भवानी तेरे गुण मैं गाऊंगा, मेरी मैया
मेहरावाला मीह बरसाई रखी दातिए, बचैया ते किरपा बनाई रखी दातिए, तेरे उते लाइया आसा पूरियां तू करदे, दुःख हर
शेरोवाली है देखो सिंह पे चढ़ी, चल के दर्शन पाइये कह के जय माता दी, जन्मो से दिल से इक