कण कण में माँ की सत्ता
कण कण में माँ की सत्ता , चाहे दिल्ली हो कलकत्ता माँ आस्मां और चन्दर्मा में, माँ भरम लोक और
कण कण में माँ की सत्ता , चाहे दिल्ली हो कलकत्ता माँ आस्मां और चन्दर्मा में, माँ भरम लोक और
मंदिरा दे विच वजियां टलियाँ, संगता दे नाल संगता रलियां, दर मैया दे देखो चलियाँ नाले लगन जैकारे, बोलो जय
आये तेरे नराते दातिये आये तेरे नराते, कंजका पूजा ज्योत जगावा रोज करा जगराते दातिये, आये तेरे नराते दातिये आये
साडी लाज रखी महारानिये विच परदेसा दे, साडे अंग संग रही भवानिये विच परदेशा दे, साडी लाज रखी महारानिये …..
दूध पूत वाली नहियो कोई सोगात चाहीदी, हीरे मोतियाँ दी नही बरसात चाहीदी, नि मेनू दातिये ना महल चुबारे चाहिदे,
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी कोई तेरा पार ना पाया ॥ पान सुपारी ध्वजा नारियल । ले तेरी भेंट चडाया
अबके नवराते मैया मैं द्वार जो आउंगी, हलवा और पूरी का माँ भोग लगाऊ गी, लाल चुनरी माँ लेके प्रेम
ए री मलनिया हार बना दे संतोषी माँ के लाने, द्वारे जाना है मुझको दुखड़े सुनना है मुझको मैया जी
ਸ਼ੇਰਾਂ ਵਾਲੀਏ ਮਾਂ ਤੇਰੀਆ ਉਡੀਕਾਂ, ਲਾ ਕੇ ਬੈਠੇ ਅਸੀਂ ਡਾਢੀਆਂ ਪ੍ਰੀਤਾਂ ਤੇਰੀਆਂ ਉਡੀਕਾਂ ਦਾਤੀਏ, ਤੇਰੀਆਂ ਉਡੀਕਾਂ ਦਾਤੀਏ ਤੇਰੀਆਂ ਪਿਆਰਿਆਂ ਨੇ
सारे जग से निराली है मैया पार करती है भक्तों की नैय्या मैया ममतामई ये है करुणामई यशगान करे है