नचदी रुक्मणि
वेहड़े दे विच भवन सजाया भगता ने रल जगन रचाया इस घर ते हो गई रेहमत माँ दी सचिया सरकारा
वेहड़े दे विच भवन सजाया भगता ने रल जगन रचाया इस घर ते हो गई रेहमत माँ दी सचिया सरकारा
॥ दोहा ॥ जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी । नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी ॥ श्री
शेरोवाली मैया के आये नवराते घर घर में होने लगे माँ के जगराते तेरे उचे पहाड़ मेरी माँ उचे पहाड़
माँ तुझसा नही कोई जहान में न इस जमीन पे न आसमा पे तू सम्बाले हमे तू ही पाले हमे
नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी । प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी ॥ १॥ नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी मुक्ताहारविलम्बमान विलसत् वक्षोजकुम्भान्तरी ।
मुझे मेरी मइया जी का प्यार चाहिए आस लगी है माँ के दर्शन की प्यासी प्यासी आँखों को दीदार चाहिए
भगतो का बेडा पार करे महारानी कल्याण करे, माँ के दर पे आके सवाली कभी न खाली जायेगे, दुःख हरनी
વિશ્વંભરી અખિલ વિશ્વતણી જનેતા, વિદ્યા ધરી વદનમાં વસજો વિધાતા। દુર્બુદ્ધિને દુર કરી સદ્બુદ્ધિ આપો, મામ્ પાહિ ઓમ ભગવતિ ભવદુઃખ કાપો
कोने तोला झुलाना झूलाये वो दाई, कोन मगन नाचे ना, कोने तोला झुलना झूलाये वो.. दाई कोन मगन नाचे न,
आदि शक्ति माँ भवानी अम्बे दुर्गा महाकाली कितने नाम हैं तेरे मैया तेरे दर्शन की प्यासी अखियाँ भाव मन में