मैया जी अस्सी नौकर तेरे
हाँ मैया जी अस्सी नौकर तेरे । सेवा तेरी दे विच्च खड़ा रहा रवां मैं शाम सवेरे ॥ दोवे हत्थ
हाँ मैया जी अस्सी नौकर तेरे । सेवा तेरी दे विच्च खड़ा रहा रवां मैं शाम सवेरे ॥ दोवे हत्थ
धून – जिंदगी एक सफ़र है सुहाना मैया का भवन है सुहाना, यहाँ कल क्या हो किसने जाना मैया के
शेरावाली की दया सबपे सदा रहती है , वो कहा अपनी बचो से ख़फ़ा रहती है, शेरावाली की दया सदा
जय कारे बोलते चलो भवन हमें जाना है माँ के, मन में है धारणा हिमत ना हारना, चलना है चलते
जितनी ऊंची चढ़ाई उतनी ही गहरी खाई, पर भगतो न गबरना है माँ की चिठ्ठी आई, डरने की क्या दरकार,
मोतियन चौक पुरायों मोरी माई री मैया मोरे अंगना में अइयो, चंदन को री पलना बनवायों , नित नित झूला
मैं बेटी हु तू है माता रहे अटल सदा ये नाता, ये रिश्ता कभी न टूटे कभी न तेरा दर
सामने आ गया माँ का मंदिर, हर कदम पर सम्बलना पड़े गा, ये जमीन पाक है स्वर्ग से भी सिर
जिन्ना तेरे जागेया च मैं जागेया, चन्न कोलो पूछ लै तारेया तो पूछ लै, जिन्ना मैं दीवाना माए तेरे नाम
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:। नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता:प्रणता:स्म ताम् ॥ तामग्निवर्णाम् तपसा ज्वलंतीम् वैरोचनी कर्मफलेषु जुष्टाम्। दुर्गादेवीं शरणम्