
श्री माँ सरस्वती चालीसा
जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि, पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा

जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि, पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा

तर्ज:-राधे राधे बोल श्याम सुनले तेरी (धीरे धीरे बोल कोई सुन ना ले) हंस सवारी वाली जगदम्बे जगदम्बे मां जय

दुर्गा भवानी तू ही काली कल्याणी, तेरी शक्ति है अपार कोई पाया नही पार मैया जगदम्बे मैया जगदम्बे दुर्गा भवानी

हे मैया हम तेरे बच्चे तेरा ही गुण गाते है तुझे बुलाने बड़े भाव से तेरे दर पे आते है

माँ जोट जगी जगराते में किस्मत चमकाएगे, मैया चरणों में तुम्हारे झूमे नाचे गायेगे, मात मेरी वैष्णो रानी मात मेरी

आउंदे जदो तेरे जगराते हुन्दे घर घर विच जगराते, तेरी नूरी ज्योत जगा के सेवक भेटा गाउँदे ने, मंदिरा तो

आये मैया के नवराते करोली ले चल रे पिया , दर्शन जाये रही दुनिया सारी मेरो लागे न जिया, आये

सब पूछते है संग क्या तेरे तकदीर चलती है, मैं केहता हु मेरे संग माँ की तस्वीर चलती है पहले

शहनाई ढोल भजाओ माँ शेरावाली आई है, जैकारे माँ के लगाओ माँ शेरावाली आई है, लाल चुनरिया ओड के मैया

कैला मां लागे प्यारी मैं जाऊं रे बलिहारी मैया की सूरत मन मोहे, सोने को सिर छत्तर सोहे चुनर की