
शिव शंकर पिता पिता गोरा माता
देवो में श्री गजानन सब से बड़े खिलाड़ी अद्भुत है रूप इनका मुश्क है उनकी गाडी मोदक है मन को

देवो में श्री गजानन सब से बड़े खिलाड़ी अद्भुत है रूप इनका मुश्क है उनकी गाडी मोदक है मन को

है तू मंगल मूर्ति,देवा कामना पूर्ति, रिधि सीधी के स्वामी देवा प्रभु नित करे अराधना मेरे कंठ में संगीत दे,

गजानन तुमको मनाने में मजा आता है, मेरे गजानन का शीश बड़ा सुंदर है सवा मनी मुकट सजाने में मजा


शिव गौरी नन्द गणेश प्रथम प्रणाम करो, माता जिनकी पार्वती है पिता हैं जिनके महेश प्रथम प्रणाम……… शीश गजानन मुकुट

गली गली में हल्ला आये शोव गोरी के लला, गोरी के लला हां गोरी के लला, खूब मचियो है हल्ला

पैदल आये गणराज देखो मटक मटक के, चूहा को बतलाये बिना धीरे से सटक के, पैदल आये गणराज देखो मटक

ठुमक ठुमक चले गोरी का लाला छोटा सा रूप देखो कैसा निराला झूमती है गोरा मैया गोद में उठाये देख

रिद्धि सीधी के मालिक तुम हो,पूजा हॉवे श्रद्धा नाल जी, तेरी जय हॉवे जय हॉवे गोरी लाल जी, माथे सुन्दर

हे गणनायक हे गजानन,प्रथम तुमको नमन करें तुम हो प्रखर बुद्धि के स्वामी तुम सम जगत में कोई ना ज्ञानी