
सबसे ही प्रथमे
दोहा – पहले गणपति पूज के पाछे करिये काज, बीच सभा में बैठयां मेरी पत रखियों महाराज, सबसे ही प्रथ

दोहा – पहले गणपति पूज के पाछे करिये काज, बीच सभा में बैठयां मेरी पत रखियों महाराज, सबसे ही प्रथ

धुन-आ लौट के आजा मेरे मीत मेरी विनती सुनो गणराज ll, मुझे बस तेरा सहारा है ll *मेरे बिगड़े बना

कारज पूरण करने वाले भगतो के दुःख हरने वाले, तीन लोक में सब से पहले होती होती जय जय कार

विनायका , गणराया , गजानना … गजानना श्री गजानना , गजानना करू तुझी प्रार्थना, आम्हा पाव ना , रे शिवनंदना

रख मणि मंत्र आप को मेरे पूरण कीजियो काज जी, जय जय घज देवा रखियो मोरी लाज जी, जय हो

रिध्दी सिध्दी खड़ी मंदिर में मुस्काये मनामन मे गणेश घर जाना है रिध्दी सिध्दी को बिन्दिया विराजे बिन्दिया पहना दो

मंगल तू करता दुखड़े तू हरता, याहा पेहले तुझे ध्याये जो, सिद्ध काज तू ही उस के है करता तुझे

गजानन्द कृपा बरसा दे त्रिनेत्री कृपा बरसा दे में भिखारी तेरे दर्शनो का तू दर्शण कर दे त्रिनेत्र….. बिन तुम्हारी

तनक सो चूहा पे बैठे गणेश सब भगतन के काटे कलेश, सब देवो से पेहले पूजा गणपति जैसे कोई न

तीन लोक गोरी लाल समाये रिधि सीधी तेरे गुण गाये मिट जाए सकल गणेश जी गनपत श्री गणेश जी गोरा