
अंजनी के लाल हनुमान
अंजनी के लाल हनुमान आज मेरी रक्षा करो ॥ . लगी आग लंका में भगदड़ मची थी ॥ कुटिया विभीषन

अंजनी के लाल हनुमान आज मेरी रक्षा करो ॥ . लगी आग लंका में भगदड़ मची थी ॥ कुटिया विभीषन

राम शरण में ले चालूं मेरी पूछ पकड़ ले रे, राजा रावण अपनी मूछ थोड़ी नीची कर के रे ।

तेरी दया से चलता मेरा व्यपार बाला जी मैं जिंगदी भर न भूलू तेरा उपकार बाला जी इक टाइम था

मस्ती चढ़ गई बाला जी म्हणे देख तेरा दरबार, बाला जी म्हणे नाचन दे मन भा गया दरबार, नाम तेरी

अमृत की बरसे बदरिया बाबा की दुअरिया, दादुर मोर पपीहा बोले ।॥ कूके काली कोयालियाँ बाबा की दुअरिया, अमृत की

मेरी सुन लो मारुती नंदन, काटो मेरे दुःख के बंधन, हे महाबीर बजरंगी, तुम्हे कहते है दुःख भंजन । मुझ

सिया राम के नाम का हम सुमिरन करते है, अंजनी पवन कुमार है वंधन करते है, मंगल को प्रभु तुम

बाला जी का सूंदर नजारा ये तो तीर्थो में तीर्थ न्यारा, दरबार बाबा का है निराला यहाँ किस्मत का खुलता

आज है मंगलवार तेरा मिलना हम को प्यार तेरा सब देवो को लाना है अपना वचन निभाना है हे मारुती

सिया राम राम सिया राम राम लाँघ समुन्द्र लंका अंदर कूद गये हनुमान जी इनसा ना कोई बलवान जी श्री