श्री राम जानकी बैठे हैं
श्री राम चंद्र जी महाराज के भरे दरबार में, विभीषण ने ताहना मारा, ऐ बजरंगी, क्या तेरे मन में भी
श्री राम चंद्र जी महाराज के भरे दरबार में, विभीषण ने ताहना मारा, ऐ बजरंगी, क्या तेरे मन में भी
भण्डारो की धूम मची है मच गई हलचल है , के आया बजरंगी का शुभ दिन भगतो आज बड़ा मंगल
यहाँ राम की चर्चा होती आता बजरंग बाला, मेरा बजरंग बाला, राम नाम की धुन में नाचे होक ये मतवाला,
हे राम का आज्ञाकारी हे शंकर का अवतारी म्हारे सिर पे हाथ फिराओ मैं शरण पड्या हाँ थारी म्हाने पल
लाखो भिखारी पल में बाबा तने कर दिये सेठ, मने क्यों तरसावे बाला जी जरा इधर भी देख, लाखो भिखारी
सवारे तन्ने,राम के बिगड़े काम हैं अतुलित बल बुद्धि के धाम कहवे तन्ने,राम भक्त हनुमान विराजे तेरे घट में सीता
हर दुःख में हर संकट में बजरंगी को पायेगा, राम भक्त भजरंग बलि का नारा जो भी लगाए गा, हर
राम शरण में ले चालूं मेरी पूछ पकड़ ले रे राजा रावण अपनी मूछ थोड़ी नीची कर के रे राजा
गूंज गया गूंज गया बाबा का जयकारा गूंज गया, जो लगाई आग पूंछ में लंका गड में कूद गया, गूंज
सब कुछ मिला है न कोई गिला है, मेहरबानियों का तेरी ये सिलसिला है, सब कुछ मिला है न कोई