सालासर में बाबा का जो दरबार न होता
सालासर में बाबा का जो दरबार न होता, हम भक्तो का फिर बेडा कभी भी पार न होता, सालासर में
सालासर में बाबा का जो दरबार न होता, हम भक्तो का फिर बेडा कभी भी पार न होता, सालासर में
ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਖੜਕਣ ਖੜਕਾਲਾਂ,, ਪੈਰੀਂ ਘੁੰਘਰੂ ਪਾਉਣ ਧਮਾਲਾਂ ll ਤਨ ਤੇ ਖੂਬ ਸਿੰਧੂਰ ਲਗਾਇਆ, ਮੁੱਖੜੇ ਤੇ ਮੁਸਕਾਨ, ਨੱਚਦੇ ਝੂਮ ਝੂਮ
बाला जी मेरे भूत भगा दे, मने डे भूतडे दुखि करे, तेरे हाथो में सोटा खूब सजे, बाला जी मेरे
जिस पर हो हनुमान की किरपा तकदीर का वली वो नर है, रखवाला हो मारुती नंदन किस बात का डर
सिया से कहे हनुमाना रे, माँ क्यों सिंदूर लगाया, पूछे जब हनुमान गोसाई सुन के सीता माँ मुस्काई, भेद ये
एक दिन अग्नि में जल जाए गई आ चन्दरमा सी शान तेरी, राम नाम के भजन बिना ना होगी नैया
बाला जी के धाम पे एक बार जो भी आ गया, सोचना जितना हो उतनी खुशियां दर से पा गया,
सीता के सिंधुर से राजी कौशल्या के लाला, इसलिए हनुमान ने तन को सिंधुरी कर ढाला, सीता जी ने मांग
सिंदूरी तन तूने रंग डाला, भक्ति में कारज ये कर डाला, माता सिया को देखा था इक दिन सिंधुर मांग
हनुमान जी नाच रहे है श्री राम की मस्ती में, आओ हम भी नाचे मिल के सारे बाला जी की