
श्री नाकोड़ा भैरव अमृतवाणी
शंखेश्वर को नमन करूं, पुजू गोड़ीजी पाय, नाकोड़ा के दर्शन से, दुःख सकल मिट जाए । नाकोड़ा भैरव प्रभु, सुमंधा

शंखेश्वर को नमन करूं, पुजू गोड़ीजी पाय, नाकोड़ा के दर्शन से, दुःख सकल मिट जाए । नाकोड़ा भैरव प्रभु, सुमंधा

जब जब दिल ये उदास होता हैं, भैरूजी का सर पे मेरे हाथ होता हैं । मेरा एक साथी हैं,

जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा, जहां आप रख लोगे, वहीं मैं रहूंगा। यह जीवन समर्पित चरण में तुम्हारे, तुम्ही

लाखों प्राणी तार दिए सुनते हैं सरकार, छोटी सी ये अर्ज मेरी,कर लेना स्वीकार, अंत समय जब आये मेरा ..ओ..ओ..ओ…..

गर जोर मेरो चाले, हीरे मोत्यां सु नज़र उतार दूँ, चाईया वारे लूण नहीं बाबा,सोना चाँदी वार दूँ, गर जोर

साँची कहे तोरे आवन से हमरे नगरी में आई बहार गुरु जी, करुना की सूरत समता की सूरत लाखो में

पूछो मेरे दिल से यह पैगाम लिखता हूँ, गुजरी बाते तमाम लिखता हूँ दीवानी हो जाती वो कलम, हे गुरुवार

एह भगवन तेरे भक्त हम सवारों हमारे कर्म, हम शरण में रहे चरणों में रहे प्रभु किरपा करो हर दम,

चाहे कितना ही जोर लगा लेना, फिर भी न चलेगा जोर तेरा चाहे कितना ही उसको मना लेना, फिर

जड़ चेतन जग महिमा छाजे, घंटा कर्ण महावीर गाजे, जड चेतन जग महिमा छाजे, मनवांछित पूरण कर नारा, भक्त जनो