मधुबन के मंदिरो में भगवान बस रहा है
मधुबन के मंदिरो में भगवान बस रहा है । पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥ आध्यात्म
मधुबन के मंदिरो में भगवान बस रहा है । पारस प्रभु के दर पे सोना बरस रहा है ॥ आध्यात्म
मन मेरा तेरे बिन कहीं लगता नहीं कोई तेरे सिवा मेरी सुनता नहीं भूल ऐसी भी ये मुझसे क्या हो
तर्ज- सूरज कब दूर गगन से … है अजित नाथ प्रभु प्यारे , हम भक्तो के सहारे धरती अम्बर में
आओ जी आओ गुरुदेव म्हारे आंगणा भगत है आया बुलाने गुरूजी आओ जी आओ गुरुदेव म्हारे आंगणा मेरे गुरुवर थे
मरते दम नहीं, अगले जनम तक, अगले जनम नहीं, सात जनम तक, सात जनम नहीं, जनम जनम तक, छोड़ेंगे ना
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है करते हो तुम गुरुवार, मेरा नाम हो रहा है पटवार के
महावीरजी का दर है सुहाना ओ भक्तो बार बार चले आना के करने से जिनवर भक्ति मिलती है अद्धभुत शक्ति
भैरू रो दरबार, ई जग में सबसुं न्यारो हैं, ओ तो भक्तों रो रखवालो हैं, भैरू रो दरबार, ई जग
बरसा पारस सुख बरसा, आंगन आंगन सुख बरसा चुन चुन कांटे नफरत के, प्यार अमन के फूल खिला… बरसा पारस..
जैसा चाहो, मुझको समझना, बस इतना ही तुमसे कहना.. मांगने की आदत जाती नहीं, तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं..