ऊंचा पर्वत थी, आवो ने भैरूजी
उंचा पर्वत थी आवो ने भैरूजी, दुखड़ा म्हारा थे दादा निवारजो । रूमझूम रूमझूम करता थे आवो, नावड़ी म्हारी थे
उंचा पर्वत थी आवो ने भैरूजी, दुखड़ा म्हारा थे दादा निवारजो । रूमझूम रूमझूम करता थे आवो, नावड़ी म्हारी थे
मेवानगर के देव ओ भैरव, वंदन सौ सौ बार, तु ही हैं करतार हमारा, तु ही पालनहार ॥ पूनम का
अरे आवणो पडेला थोने आवणो पडेला टाबरीयो रे बुलाया भैरूजी, थोने आवणो पडेला… अरे आबू री धणीयाणी माता, अर्बूदा माता
ॐ जय महावीर प्रभु, स्वामी जय महावीर प्रभु । कुण्डलपुर अवतारी, चांदनपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभु ॥ सिध्धारथ घर जन्मे, वैभव
धुन जो भेरुकी जगाये, वो पारस प्रभु को पाये , आजा प्यारे पास भेरुके, काहे घबराये काहे घबराये, भेरू मेरा
दे दो अब दर्शन तिहारे, आए हैं चरणों में तुम्हारे, दास ये तेरे, दर पे आए, चरणों में तेरे अर्ज
तर्ज – मेरे मन मे पारस नाथ…. नाकोड़ा के भैरव नाथ रहते भक्तो के साथ जिसने प्रेम से लिया
गूंज उठे जैकारे राजा नाभि राये के द्वारे, धरती पर भगवन पधारे आधी कुमार की जय, मरुदेवी के अंगना आयो
जय हो जय हो आदिनाथ जिनेंद्रदेव आदिनाथ प्रथम तीर्थेश आदिनाथ देवाधिदेव आदिनाथ तेरी भक्ति के बिना जिनेंद्र देव आदिनाथ हो
हो बाबा रे आजा रे, हो बाबा रे आजा रे, मुझे कुछ हो रहा हैं, भक्त ये रो रहा हैं