
हरी नाम बिन कौन तरे आओ भजन दिन रैन करे
हरी नाम बिन कौन तरे आओ भजन दिन रैन करे तूने जीवन खेल गवाया, क्यों मन का ये खेल रचाया

हरी नाम बिन कौन तरे आओ भजन दिन रैन करे तूने जीवन खेल गवाया, क्यों मन का ये खेल रचाया

विनती सुनो बनवारी दीनदयाल गिरधारी॥ जनम जनम का तुमसे नाता, तुम ही जग के भाग्य विधाता,॥ तुम संग प्रीत हमारी

नचना नचना नचना नचना पैरा विच घुंगरू पाके, अयोध्या तो मेरे राम जी आये, सीता जी नु नाल ले आये,

बिना राधा है आधा घनश्याम संवारे कृष्णा करो बरतो है राधा छाव रे बिना राधा है आधा घनश्याम संवारे कान्हा

मेरी जान जन्मो से तुझसे समाई, नहीं जी सकेगे तेरे बिन कन्हाई, बदले में तेरे कोई धाम दू मैं, दे

तेरा दरबार न छोड़ू चाहे लोग हाँसे, सांवरी सलोनी सूरत दिल में वसे, तेरा दरबार न छोड़ू चाहे लोग हाँसे,

होली खेला तेरे संग मैं ओ सावरे, पावा तेरे उत्ते रंग मैं ओ सावरे, रंग गुलाल लेके थाली मैं सजाई

आ श्यामा मैं तैनू याद करदी वृन्दावन किवे आवा घरो डरदी तू मेरे मन दा मोती है दो नैना दी

पट खोल पुजारन आयी है, तेरा दर्शन पाने आई है, छुप क्यों दासी के मीत गये, तेरे दवार पड़े युग

प्रीत कर गोविंद से हम, दर्द सहते जाएंगे, फूल चुनने आए थे हम कांटे ही ले जाएंगे, तुम ही कहते