
लूट लियो मेरो माखन,
तेरो नन्दलाला
हे मैया… यशोमती मैय्या से,बोली बृज बाला,लूट लियो मेरो माखन,तेरो नन्दलाला । पहले सुनाई मुरली,मन हर लिन्हो,सुध बुध भुलाई मैय्या,ऐसो

हे मैया… यशोमती मैय्या से,बोली बृज बाला,लूट लियो मेरो माखन,तेरो नन्दलाला । पहले सुनाई मुरली,मन हर लिन्हो,सुध बुध भुलाई मैय्या,ऐसो

हे कृष्णवदन हे मधुसूदन,घनश्याम कहे या मनमोहना। नन्दलाल, गोविन्द गोपाल तेरे दर्शन को तरस रहे नैना।श्यामल पंखी तेरा मोर मुकुट,

मुरलिया करत हिया में झंकार।अधर धरै जब कृष्ण कन्हैयाबाजत दिल के तार।मुरलिया करत हिया में झंकार तान धरै जब जब

मैं हूँ शरण में तेरी संसार के रचैयाकश्ती मेरी लगा दो उसपार ओ कन्हैया मेरी अरदास सुन लीजेप्रभु सुध आन

तेरे चरण मेरे मथुरा काशीबनवारी ब्रज के वासीअँखियाँ दर्शन की मतवारीमनमोहन मन के वासी तेरे चरण मेरे मथुरा काशी बनवारी

सखी सपने में एक अनोखी बात हो गई,सांवरे से मेरी मुलाकात हो गई,मैं तो गहरी नींद में सोये रही थी,उस

ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार हैजिसने मेरे प्यारे कान्हा का किया ये श्रृंगार है तरह तरह के रंग
नित्त ध्यान धरूँ चित्त से हित से,उर गोविन्द के गुण गाया करूँ।वृंदावन धाम में श्याम सखा,मन ही मन में हरषाया

मै हुई दीवानी तेरी श्याम नाम सुबह शाम जप के शाम जपके सुबह शाम जपके दिल में हो तू ही

शिकायती पत्र गई मोरनी पास यशोदाकड़वे बोल सुनायेंतेरो कान्हा बडो ही लम्पटमेरे मोर के पंख चुराये ! रोज़ सुनै थी