
क्यों तड़पाता है कन्हियाँ क्यों तड़पाता
क्यों तड़पाता है कन्हियाँ क्यों तड़पाता है, दो बाते करले श्याम मुझे क्यों तड़पाता है, जन्मो का प्यासा हु मेरी

क्यों तड़पाता है कन्हियाँ क्यों तड़पाता है, दो बाते करले श्याम मुझे क्यों तड़पाता है, जन्मो का प्यासा हु मेरी

लाखो को तार दिया श्याम ने , गज़ब किया छोटे से श्याम ने, छोटे से श्याम ने राधा के श्याम

बड़ा आनंद आवे रे कन्हैया तेरे सत्संग में, जो सत्संग में पहले आवे उसको सत्संग पूरा भावे, वो तो मौज

हृदयी रहा रे दयाघना मन:शांती दे मन मोहना चरणी तुझ्या ही प्रार्थना || तू जाणसी, कि अजाण मी ,

बता मेरे यार सुदामा रे भाई घने दिना मैं आया, बालक थारे जद आया करता रोज खेल के जाया करता,

किथो ने रंगाइया अखा पूछ दियां ने सारियां, जदो श्याम नाम नाम दियां छड़ियाँ खुमारियां, सतगुरु मेरियां ने किता एह

चिट्टा फुल गुलाबे दा फुल्ला तैनू साम्भ के रखा मेरी मैया जी दे बागे दा कोठे उत्ते सुखावा छलिया रूत

श्याम की दीवानी है राधा जितनी, मीरा को भी मोहन से प्रीत उतनी, राधा के नैनो में छाये हुये, मीरा

अर्जी लेकर तेरे दर आये हम, केसर मियां करना हम पे कर्म, दुःख संकट ने गेरा हमे सेह न पाते

श्याम जो देता ना मुझको सहारा होता कभी न पार किनारा श्याम जो देता ना …………. उजड़ गयी थी ज़िन्दगी