
मैं बरसाने की छोरी
मैं बरसाने की छोरी तू है गोकुल का ग्वाला रास रचाये वृन्दावन में बुला रहे ब्रजबाला आजा नन्द के लाला,

मैं बरसाने की छोरी तू है गोकुल का ग्वाला रास रचाये वृन्दावन में बुला रहे ब्रजबाला आजा नन्द के लाला,

ओ चरणा में रम जाउ थारा चरणा चरणा में रम जाउ श्याम थारा चरणा रम जाउ के म्हारा ओ गिरधर

न तुम बहाने बनाया करो कभी मेरे घर श्याम आया करो तेरे नाम का ही मैं तो दीवाना हो गया

रे मने मथुरा में घुमा दियो कृष्ण कन्हियाँ मेरी न्यूमन ने घनियावे ओ कृष्ण कन्हियाँ रे मने मथुरा में घुमा

सखी सहेली मुझे बताओ श्याम सलोनो किधर गयो, मीठी मीठी तान सुना के इधर गयो के उधर गयो, सखी सहेली

नैनं को तीर चलाए गयो री मेरो कान्हा बंसी वालो मेरो कान्हा बंसी वालो मेरो मोहन मुरली वालो अरे नैनं

श्याम सुंदर तुम्हारी चितवन मधुर ब्रिज गलियों में मुझको नचा ने लगी मेरी पायल की छम छम घुंघरू भजे मेरी

कृष्ण काला मैया री तेरा मुरली वाला एह री माखन दही वो मेरा चुराता राहा खड़ा दूर से अंगूठा मुझे

थोडा सा माखन खिला दो न राधा, मांगू न फिर तुमसे करू न वाधा मटकी को हाथ लगाने न दूंगी

कृष्ण गोवर्धन धारि हरे, जय मुरमर्दन मुरारि हरे, गोकुल कृत गोचारण ये, ब्रह्मा के भ्रम कारण हे महेन्द्र महामद हारण