राधा से होली खेलन मेरा श्याम गयो बरसाने में
राधा से होली खेलन मेरा श्याम आ गया बरसाने में, होली खेले सांवरिया तो रंग उड़े बरसाने में, तुम पकड़
राधा से होली खेलन मेरा श्याम आ गया बरसाने में, होली खेले सांवरिया तो रंग उड़े बरसाने में, तुम पकड़
मेरे दिल न दीवाना कर गई ओये, ऐहडी आँख मस्तानी लड़ गई, मेरे दिल न दीवाना कर गई ओये, मैं
मैनु ब्रिज दे सपने आउंदे ने इंज लगदा श्याम बुलाउंदे ने, मैनु उठदे बहन्दे सोहन्दे जगदे नशा रवे दिल दार
मनमोहन मुरली वाले,ओ भक्तों के रखवाले ओ बेड़ापार करईया हो….. खेवइया भवसागर की नैया बेड़ा पार करईया हो, मनमोहन मुरली
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया । तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया । तेरी बंसी तो वारे वारे
ओ रे कन्हिया छोड़ो मोरी बहियाँ, सुबह से हो गई श्याम अब घर जाना है घर में बहुत है काम
नेक आगे श्याम तोपे रंग डारु, नेक आगे आ रंग डारु तेरे अंगन सारू लाला तेरे गालन पाई गुलचा मारूं,
श्री राधे रानी दे डारो नी बंसी हमारी, काहे से गाऊँ राधे काहे से बजाऊँ, काहे से लाऊं गैया घेरी,
चाहा था मैंने रोकना लेकिन चाह कर भी न रोक न सका, आँख से आंसू छलक गए थे जब तेरा
छोड़ ब्रज जब कृष्णा चल दिए ग्वाल बालख बिन्ख पड़ी और राधिका के नैन भर गए सुना पड़ गया ये