रंग लाइ है बर्बरीक तेरी क़ुरबानी
रंग लाइ है बर्बरीक तेरी क़ुरबानी, आज घर घर में पूज रहा है शीश के दानी, आया तेरा ज़माना कलयुग
रंग लाइ है बर्बरीक तेरी क़ुरबानी, आज घर घर में पूज रहा है शीश के दानी, आया तेरा ज़माना कलयुग
या देही तुझा संग, कैसा जोडू मी ते सांग विठ्ठला दिस रात तुही आस,
अरे आजा रे कृष्णा अपने इस गोकुल, सताये दर्श की तृष्णा राधा को गोकुल में, रात मेरी है सुनी सुनी
सारे ब्रिज में मचा है ये हला माँ यशोदा ने जन्मा है लला नन्द बाबा का मन हुआ खुशहाल रे,
आया है दुनिया मैं हरी गुण गाने के लिए, मानुष जनम मिला है तुम्हे कुछ पाने के लिए, किसी के
चल राधा मधुवन चाला तारा छाई रात्रि, झील मिल रास रचाये श्याम मधुवन में, कोणी जाऊ मधुवन कान्हा सॉट तेरे
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे नाम मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली । प्रात होत हम श्री
हाल ए दिल अपना किसको सुनाये, मुझे ये कैसा प्यार हो गया, बांकी बांकी चाल झूमती अदाएं, कन्हैया मेरा यार
काला काला सांवरियां हरी हरी तुलसी बंसी बजावे सांवरिया लेहरे लेवे तुलसी काला काला सांवरियां हरी हरी तुलसी गजरा लाया
किवे मुखड़े तो नज़र ह्टावा के तू ही मेनू रब दिसदा, दिल करदा है के देखदी ही जावा के तू