जय श्री वल्लभ जय श्री विट्ठल
जय श्री वल्लभ, जय श्री विट्ठल, जय यमुना श्रीनाथ जी । कलियुग का तो जीव उद्धार्या, मस्तक धरिया हाथ जी
जय श्री वल्लभ, जय श्री विट्ठल, जय यमुना श्रीनाथ जी । कलियुग का तो जीव उद्धार्या, मस्तक धरिया हाथ जी
तेरे जैसों रे सांवरा कोई नहीं कोई नहीं, कोई नहीं कोई नहीं कोई नहीं कोई नहीं, तेरे जैसों रे सांवरा
तुझे मन से पुकारू तुझे दिल में उतारू तुझे आँखों में वसा लू मेरे संवारे ना मैं मीरा न मैं
ना कोई काम बिगड़ पाया ना कोई मुश्किल का साया जबसे थामा तेरा हाथ ओ मेरे श्याम जहाँ देखूं जिधर
लेलो शरण कन्हियाँ दुनिया से हम है हारे, नहीं ठोर न ठिकाना फिरते है मारे मारे, गुजारी है ज़िंदगानी अश्को
निक्का जेहा श्याम मेरा रूस के नी बेह गया हूँ तेरे नहियो औना जांदी वारी केह गया दसो नी सहेलियों
जय श्री राधा, प्रेम अगाधा, हरणी भव बाधा, श्री कृष्ण प्रिये, जय प्रेम प्रवीणा,नित्य नवीना, रतिरस वीणा, श्री कृष्ण प्रिये,
कहन लागे मोहन मईया मईया नन्द बाबा सो बाबा रे बाबा और हल धर सो धैया, कहन लागे मोहन मईया
चोरी चोरी माखन खाए नटखट माखन चोर लाख यत्न कर हार गई मैं उस पे चले न कोई जोर चोरी
रूठत श्याम रिझावत सखियाँ: रूठत श्याम रिझावत सखियाँ, कबहुँ चुमत मुख लेत बलैया, पुनि पुनि अंग लगावत सखियाँ, रूठत श्याम